Friday, August 24, 2012

क्या हिन्दुओं के मानवाधिकार नहीं होते ?


                        
षीर्शक वाकई चैंकाने वाला है, लेकिन सत्य है । भारत की वर्तमान दषा और दिषा तो कम से यही सिद्ध करती है । जैसा कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री अपने विभिन्न संबोधनों में कई बार कह चुके है ‘समस्त अल्पसंख्यकों का हमारे सभी राजकीय संसाधनों का पहला अधिकार है ।’ खैर यहां प्रष्न उनके कहने का नहीं है । इस तुगलकी व्यवस्था की बानगी हम विभिन्न षासन प्रदत्त व्यवस्थाओं में स्पश्ट देख सकते हैं । उदाहरण के तौर मुस्लिमों को धार्मिक यात्रा के नाम पर दी जाने वाली सब्सिडी का उदाहरण पूरे विष्व में अनोखा है । दूसरा उदाहरण है कष्मीर में लागू अनुच्छेद 370 जो धर्म के आधार पर एक देष दो संविधान का सबसे घटिया उदाहरण है । ध्यान दें तो पाएंगे कि विष्व में ऐसे तुश्टिकरण के जघन्य अपराध अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलेंगे । घटियापन के ये ओछे उदाहरण यहीं समाप्त नहीं होते आमजन जीवन में षरियत पर आधारित  व्यवस्था के नाम पर अक्सर ही तिरंगे का अपमान, हिंसा और रक्तपात जैसे अपराधों से रूबरू होते रहते हैं । विचारणीय प्रष्न है कि अगर अफजल गुरु,अजमल कसाब जैसे हत्यारों के मानवाधिकार हो सकते हैं तो काष्मीर से लेकर सिंध तक उत्पीडि़त हो रहे हिंदुओं के क्यों नहीं ? पाक से षरणार्थी बन कर हिन्दुस्थान में नागरिकता की मांग कर रहे हिन्दु अगर बाहरी हैं तों ये आतंकी क्या इस देष के गौरव हैं ? देष की अखंडता और संप्रभुता पर कुठाराघात करने वाले इन आतंकियों का ये सत्कार कब तक ? क्या देष के आमजन से वसूला जाने वाला कर इन कुत्सित हत्यारों की बिरयानी पर खर्च नहीं होता? अंततः अगर एक लोकतंात्रिक पद्धति पर चलने वाले देष का न्याय यही है तो फिर अन्याय किसे कहते हैं?

उपरोक्त अनेकों प्रष्न हैं जो प्रायः सभी देष भक्तों के विचार पटल पर अंकित होते जा रहे हैं । हैरत होती इस नपुंसक व्यवस्था को देखकर क्या यही मूल्य षहीदों की कुर्बानी का । अगर सूक्ष्म निरीक्षण करें तो पाएंगे इस कुत्सित व्यवस्था के बीज हमारी दासता के हजारों सालों में ही बोए गए थे । इस बात से कोई इन्कार नहीं कर सकता देष की संपन्नता और संस्कृति पर ग्रहण लगाने इन विदेषी आक्रमणकारियों के भारत आगमन का उद्देष्य मैत्री भाव बढ़ाना तो कत्तई नहीं था । इसके अनेकों उदाहरण हमारे इतिहास में भरे पड़े हैं । मंदिरों को तोड़ना,धन संपदा समेत नारियों का षील भंग एवं नृषंस हत्याएं करने वाले इस उन्मादी समुदाय का खौफ आज तक हमारी लचर षासन व्यवस्था में विद्यमान हैं । खौफ षव्द सर्वथा जायज अन्यथा क्या वजह है इतिहास में हुए अनेकों दंगों और हिंसा को तो भुला दिया गया लेकिन गुजरात के गोधरा दंगों में मोदी को अपराधी सिद्ध करने के प्रयास साल दर साल बदस्तूर जारी हैं । वास्तव में ये डर ही है सत्ता खोने का डर और अपने इसी डर से आक्रांत होकर कांग्रेसियों ने पीढ़ी दर पीढ़ी देषहितों की तिलांजली दी । सल्तनत या मुगलकाल में हिन्दुओं पर हुए अत्याचार से प्रायः सभी परिचित होंगे । इस दिषा में कुछ उल्लेखनीय चीजों को यहां रखना मैं सर्वथा आवष्यक समझता हूं । उस काल के बर्बर षासकों का सीधा सिद्धांत था ‘कुराण या कृपाण’ अर्थात या तो मतांतरित होकर इस्लाम धर्म को स्वीकार करना अथवा कृपाण के प्रहार से अपने प्राण गंवाना । यहां एक और व्यवस्था थी वो थी षासकों द्वारा निर्धारित जजिया कर देकर जिम्मी हो जाना । यही व्यवस्था पाकिस्तान में हिन्दुओं पर हो रहे जघन्य अपराधों की मूल वजह है । बहरहाल इस दिषा में काफी सोचने के बाद भी कुछ बातें मैं समझ नहीं पाया हूं । इतिहास में अकबर को महान कहा गया है । इस बात को अगर स्वीकार कर लें तो अकबर के षत्रु महाराणा प्रताप को क्या कहेंगे? महान व्यक्ति की महानता को अस्वीकार करने वाले व्यक्ति की क्या पहचान होती है? बहरहाल ये हम सभी के सोचने का विशय है ।
अगर आधुनिक इतिहास को गौर से पढ़े ंतो पाएंगे तो देष की इस दुर्दषा के जिम्मेदार कोई और नहीं हमारे तथाकथित महात्मा गांधी ही हैंे। पूर्व में जो कुछ भी हुआ उसको भुलाकर हिन्दू मुस्लिम की खाईं जब पट रही थी तो 1919 में मुस्लिम लीग की स्थापना में उनके अभूतपूर्व योगदान से कोई इनकार नहीं कर सकता । जहां तक जिन्ना का प्रष्न है तो वो उस काल तक पूर्णतया देषभक्त था । उसने इस खतरे के प्रति श्रद्धेय गांधी जी को सचेत भी किया था । अंततः मुस्लिम नेताओं में बढ़ते गांधी के वर्चस्व को देखते हुए उसने धार्मिक आधार पर देष के विभाजन की मांग रखी । इस संदर्भ में जिन्ना के ऐतिहासिक षब्द इस प्रकार हैं । ‘एक देष में हिन्दु और मुसलमानों का साथ रहना संभव नहीं हैं,क्योंकि हिन्दु गाय की पूजा करते हैं और मुसलमान गाय को खाते हैं । ’ खैर जिन्ना,ब्रिटिषराज और कांग्रेस के घटियापन से देष का धार्मिक विभाजन हुआ। इस विभाजन के साथ ही साथ महात्मा गांधी की विष्वसनीयता भी संदिग्ध हो गई थी, क्योंकि विभाजन के कुछ दिन पूर्व ही उन्होने कहा था कि ‘देष का विभाजन मेरी लाष पर होगा ’। इस विभाजन के बाद भी वो न सिर्फ जीवित थे बल्कि उनके सामान्य जीवन में भी इस बात का कोई अफसोस नहीं दिखता था । बहरहाल धार्मिक विभाजन की ये घटनाएं हमें यत्र तत्र सर्वत्र देखने को मिलती हैं । उदाहरण के तौर पर सांप्रदायिक समाधान के लिए ग्रीस व बुल्गारिया तथा ग्रीस व तुर्की के बीच हुई जनसंख्या की अदला बदली की घटना । भविश्य में षांति और सौहार्द क्या इस तरह की व्यवस्था हमारे यहां नहीं हो सकती थी । इन चीजों केा यदि आज के परिप्रेक्ष्य में देखें तो ये हमारे तात्कालीन राजनेताओं की भयंकर रणनीतिक भूल मानी जाएगी जिसका ख्वामियाजा विवष हिंदुओं को हिन्दुस्तान व पाकिस्तान दोनों देषों में भुगतना पड़ रहा है । इस तर्क तो यदि आंकड़ों के नजरिये से देखें  तो ये बात और अच्छे से समझ में आ जाएगी । सन 1951 में हुई भारतीय जनगणना के अनुसार भारत में मुस्लिम जनसंख्या 10.43 प्रतिषत तो हिन्दु जनसंख्या 87.24 प्रतिषत थी तो वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान में हिन्दू आबादी 22 प्रतिषत थी । इसके ठीक 50 वर्श बाद 2001 में हुई जनगणना के अनुसार भारत में मुस्लिम आबादी 13.42 प्रतिषत हो गई लेकिन पाकिस्तान में इसके विपरीत पाकिस्तान में हिन्दू जनसंख्या में जबरदस्त गिरावट आई और वो घटकर मात्र 1.8 प्रतिषत ही रह गई । प्रष्न ये है कि ये आंकड़े क्या साबित करते हैं? इन आंकड़ों को पेष करने का मेरा सीधा सा उद्देष्य है ये दिखाना है आजादी के 65 वर्शोेै बाद भी दोनों देषों में हिन्दुओं की स्थिति निराषाजनक है । भारत में अल्पसंख्यकों को संविधान से भी बड़ा दर्जा मिला तो पाकिस्तान में हिन्दुओं की दषा कुत्तों से भी बद्तर है । एक ओर पाकिस्तान में रोजाना हिन्दू लड़कियों को अगवा कर उनका धर्म परिवर्तन कराया जा रहा तो दूसरी ओर हिन्दुस्तान अल्पसंख्यकों का रोना रोकर हिन्दू हितों की तिलांजली दी रही है। समझने वाली बात सरहद के इस ओर और उस ओर दोनों तरफ कोई ठगा गया तो वो हिन्दु ही हैं । ये सब जानकर भी हम कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं कर पाते? वजह साफ है हमारा जातिगत विभाजन जिसका लाभ उठाकर 50 वर्शों से हमें बेवकूफ बनाया जा रहा हैं । अंततः
‘अब तक जिसका खून न खौला खून नहीं वो पानी है,
जो देष के काम न आए वो बेकार जवानी है’                  
                                            सिद्धार्थ मिश्र ‘स्वतंत्र’      
 

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