Friday, October 19, 2012

नैतिकता का पाठ और नारायण दत्त तिवारी

जी हां ये पढकर कुछ अटपटा सा नहीं लगा । जी हां वहीं नारायण दत्त तिवारी जो  अभी हाल ही में शेखर के जैविक पिता साबित हुए हैं । इस बात में साबित करने को कुछ और बचा भी नहीं है,क्योंकि इस मामल्¨ में न्यायालय की स्वीकारोक्ति पर्याप्त है । इन विषम परिस्थितियों में तिवारी जी से नैतिकता का पाठ पढना और रिश्तों का निर्वहन करना सीखना तो खासा हास्यास्पद ही लगता है । बहरहाल कुछ नेताओं को ऐसा लगता है । इनमें शामिल हैं पारिवारिक समाजवाद के प्रस्तुतकर्ता मुल्ला मुलायम जी । हैरत में मत पडि़येगा ये बातें इन्हीं महानुभाव के श्रीमुख से निकली हैं । हाल ही में प्रदेश की राजधानी में चल रहे एक स्मारिका के लोकार्पण के दौरान उन्होने तिवारी जी को  प्रदेश आगमन का न्यौता और जन्मदिन की बधाई दी । ये बातें यहां तक तो ठीक थी मगर इसके बाद लगता है कि कांग्रेसी उपकरण मुलायम जी जबान पर लगाम नहीं रख पाये । उन्होनें कहा कि तिवारी जी मेरे पुराने दोस्त हैं हमारी बहुत सी यादें एक दूसरे से जुड़ी हैं । उनके उत्तर प्रदेश में सक्रिय होने से प्रदेश के नेताओं को आदर्श पालन और रिश्तों का निर्वाह करने की सीख मिलेगी । अब बताइये बिल्ली से कबूतरों के पिंजरे की रखवाली की उम्मीद करना मानसिक दिवालियापन नहीं तो और क्या है ? सोचिये अगर यथार्थ में नारायण जी से प्रभावित होकर कुछ और नेताओं ने रिश्ते निभाना सीख लिया तो क्या होगा इस देश का और समाज का ।
खैर जो भी हो इनका ये जुमला सुनकर वाकई मजा आ गया । जहां तक इस प्रसंग से सीख लेने की बात है तो वो ये है कि देश में अच्छे लोगों को एक साथ खड़ा होने में भल्¨ ही गुरेज हो ल्¨किन इस तरह के लोग हमेशा एक दूसरे की दुम सहलाते मिल जाएंगे । अंत में एक मुहावरा पेशे खिदमत है, जैसे को तैसा मिले मिले नीच को नीच,पानी में पानी मिले मिले कीच में कीच ।
                                                                      जय हिंद जय भारत
सिद्धार्थ मिश्र ‘स्वतंत्र’

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